Tag: poem

रात और बारिश

रात वही है, चाँद वही है,बादलों की ओट में छिपा कहीं है।बूंदों की सरगम, राग वही है,पर आज इन हवाओं में खुशबू नई है। बारिश की बूँदें वही गीत गुनगुनाती,धरती

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अंतिम ऊँचाई

~ कुँवर नारायण कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब अगर दसों दिशाएँ हमारे सामने होतीं, हमारे चारों ओर नहीं। कितना आसान होता चलते चले जाना यदि केवल हम

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