Author: Harsh

रात और बारिश

रात वही है, चाँद वही है,बादलों की ओट में छिपा कहीं है।बूंदों की सरगम, राग वही है,पर आज इन हवाओं में खुशबू नई है। बारिश की बूँदें वही गीत गुनगुनाती,धरती

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शोर

मोबाइल स्क्रीन पे गूंजती आवाज़ेंशब्दों में छुपी नफरतखुद की बात सुनाने का जूनूनअगले को गलत साबित करने की हसरत सभी एक परदे के पीछे छुपे हैंएक पर्दा जो आपकी पहचान

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