शोर
मोबाइल स्क्रीन पे गूंजती आवाज़ें
शब्दों में छुपी नफरत
खुद की बात सुनाने का जूनून
अगले को गलत साबित करने की हसरत
सभी एक परदे के पीछे छुपे हैं
एक पर्दा जो आपकी पहचान छुपाता है
पर असल में ये पर्दा ही आपकी पहचान बताता है
परदे के पीछे ही इंसान ठीक से नज़र आता है
वक़्त के पहिये पे सवार हम कहीं दूर निकल आये हैं
घर तो नज़र नहीं आ रहा हम ये किस तरफ चले आये हैं
अनजान लोगो के बीच काफी अपना सा लग रहा है
मुखौटे के बिना जीवन सपना सा लग रहा है
शुरुवात तुमने की थी गलत तुम हो
हम तुम इसी में उलझते चले गए
कुछ नया तो हासिल नहीं हुआ
जो पास था उसे भी नष्ट करते चले गए
चलो कुछ कदम दुनिया को पीछे छोड़ के चलते हैं
एक दूसरे से कहने के बजाय एक दूसरे को सुनते हुवे चलते हैं
रास्ते का क्या है ये कहीं ना कहीं ले ही जाएगा हमे
मंजिल का क्या है एक दूसरे में मंजिल को तलाशते हुए चलते हैं