रंगो की दुनिया
जज्बातों को बयां करते हुए ये रंग।
कभी हरे कभी बैगनी । रंग बेरंग ।
इन रंगों के बीच कहीं तुम खो जाना ।
फूलों की चादर ओढ़ कर सूरज तले सो जाना ।
हवाओं की सरगम पे धीरे से झूमना,
चांदनी रातों में ख्वाबों में घूमना।
ख्वाहिशों की बारिश में तुम भीगते रहना,
खुद को इन रंगों में कहीं ढूंढते रहना।
दिल की गहराइयों में एक रंग बसेरा,
जिसमें छिपा हो तेरा मेरा सवेरा।
हर सुबह की किरन में बस तुम ही नजर आना,
इस रंगीन जहाँ में सदा यूं ही गुनगुनाना।