गर्मी

वक़्त के साथ मेरी गर्मी झेलने की क्षमता कम होती जा रही है | एक तरफ जहां पहले भारतीय रेलवे के स्लीपर कोच में ऊपर की बर्थ पर पसीने से चिपकने के बावजूद घंटो सो सकते थे, अब थोड़ी से गर्मी भी बेचैन करने लगती है | ये जानते हुए भी की ये सब मानसिक है, मैं कोशिश नहीं करता इस पर काबू पाने की |

क्यों ? क्यूंकि शायद अब जरुरत नहीं है काबू पाने की | निवारण अत्यंत सरल है – कमरे में घुस जाओ AC चालू कर लो | AC कमरे से बाहर AC कार में | AC कार से बाहर AC दफ्तर में | इंतज़ार करो गर्मी जाने का और बरसात या ठण्ड आने का |

मैं मुंबई में रहता हूँ | और यहां बारिश की कोई भी कमी नहीं है | बारिश, जो की मेरी दूसरी सबसे पसंदीदा ऋतू है | पर ठण्ड यहां है नहीं | मेरी धर्मपत्नी इस बात पर मुझसे सहमत नहीं होती | 25 degree पर ही वो गरम कपडे पहन कर “ठंडी आ गयी ठंडी आ गयी” का परचम लहराने लगती है | मैंने एक बार उसको समझाया कि AC के तापमान को 21 से ऊपर करना पाप है | उसने मेरी बात को भली भाँती समझा और अगले दिन से AC चलाना ही बंद कर दिया | तब से मैं अपनी राय अपने पास ही रखने में समझदारी रखता हूँ |

ठण्ड की तलाश में हर साल दिसंबर के महीने में अपना रास्ता पकड़ता हूँ और उत्तराखंड की तरफ रुख करता हूँ | एक समय था जब मैं हिमाचल अक्सर जाता था, पर अब बादलो को ज़मीन पर बुलाने वालो की संख्या में वहाँ काफी बढ़ोतरी हो गयी है, हर तरफ लोग कसूरी मेथी फूंकते नज़र आते हैं, इसलिए थोड़े एकांत की तलाश वालो को लिए देवभूमि बेहतर विकल्प है | अच्छी बात है की सबने अपने अपने इलाके बाँट लिए हैं | बाद में कोई ये शिकायत ना करे की मैं तो कुछ और सोच के आया था यहां कुछ और मिला |

शिकायत से याद आया हमारी शादी को अभी तीन साल होने को आ गए हैं | मेरी समुन्दर में थोड़ी रूचि बढ़ी है क्यूंकि श्रीमती जी समुन्दर के पास ही बड़ी हुवी हैं | पर ठण्ड में पहाड़ो में जाने के लिए मैं उनको नहीं मना पाया हूँ | हाँ अप्रैल मई में हमने बद्रीनाथ और गोएच ला की यात्रा की है, और वहाँ में समझ में आ गया था की कुछ चीज़ो को ना ही छेड़ो तो बेहतर है |

गर्मी ज्यादा लगे तो आप क्या करेंगे ज्यादा से ज्यादा – रोना गाना | ठण्ड ज्यादा हो तो कुछ नहीं कर सकते – बस ठिठुर कर समय बीतने का इंतज़ार | खैर, इस साल भी मैं दिसंबर में जोशीमठ की तरफ जा रहा हूँ – Kuari Pass Trek | देखिये कितना रोना गाना करता हूँ और कितना आनंद लेता हूँ | दोनों एक ही सिक्के के पहलु हैं | रोना गाना हो थोड़ा तो आनंद और भी ज्यादा आनंदित करता है |